कुछ व्यक्ति आपके नज़दीक होने का दावा पेश करेंगे। मग़र आपके किसी एक कदम के आलोचक होंगे फिर एक समय के बाद वो आपके बारे में मिथकों से भर जायेगे परन्तु हर एक मिथक टूटने का एक वाज़िब समय तय होता है। कभी कभी किताबो के ज़िल्द पर लिखे शीर्षक से ज्यादा महत्व पूर्ण उसकी व्याख्या होती है जैसे अपना और अपनत्व दोनों क्षणभंगुर है व्यक्तिवादी तंत्र में दोनों की सार्थकता पर …
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