किसान आंदोलन -किसानों की व्यथा
हालांकि इस विरोध की सुगबुगाहट कानून बनने की चर्चा से ही शुरू हो गयी थी। सबसे ज्यादा विरोध में पंजाब हरियाणा के किसान रहे। संसद में बिल के विरोध में किसानों के दबाब में NDA की सहयोगी अकाली दल से सांसद हरसिमरन कौर बादल जी ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने के बाद आंदोलन चरम पर है
किसानों की व्यथा----कविता पढे,👇👇👇👇
26 27 नवंबर को पंजाब,हरियाणा के किसान दिल्ली में प्रदर्शन के लिए निकलने । हालांकि उन्हें बॉर्डर पर रोकने का प्रयास किया गया। लाठी चार्ज , पानी की बौछारें , आंसू गैस के गोले छोड़े गए पर किसानों को दिल्ली आने से न रोक सके। पूरे देश मे जगह जगह प्रदर्शन की खबरे है।
सरकार का किसानों के साथ ये व्यवहार कतई गलत है, किसानों का प्रदर्शन करना अधिकार है यदि सरकार को बिलो के समर्थन में किसानों को लाना था तो उन्हें समझाते उनसे संवाद करते पर उन्हें इस तरह से रोकना उन पर पानी गैस का इस्तेमाल करना गलत है।
किसानों की व्यथा पर एक कविता :-
भारत देश का किसान तू क्यों है परेशान ।
सरकार को न प्यारा है तेरा मान सम्मान।।
क्यों सुने तेरी तू देता क्या इनको टैक्स है।
नही नही,देने के बदले लेता सब्सिडी मैक्स है।।
तू उपकरण खाद बीज के लिए लेता लोन।
सब्सिडी के बराबर लगती घूस यह देखता है कौन।।
करो शिकायत तो ब्लॉक में है अधिकारी मौन।
बेचने अनाज जाओ बाजार में दाम मिलता है सिर्फ पौन।।
3 अध्यादेश लाकर सरकार कहती हम है हितैसी
विरोध में हक़ के लिए खड़े हुए देखो हालत है कैसी।।
मागने आये APMC msp का कानून दो।
बदले में राह रोक तुम किसानों के पीठ पे मार दो।।
टीवी पर बैठे न्यूज देखते रोटी जो तुमने खाई है।
याद रखो प्रधान ये मेरे मेहनत से तुम तक आई है।।
साहूकार से ऋण लेकर 2 एकड़ की मिली बटाई।
समय पर आया न नहर का पानी लेट हुई जुताई।।
फिर भी जैसे तैसे करके बीज मांग के हमने की बुआई।
ईश्वर ने भी खैर न छोड़ी बारिश के संग बाढ़ भी आई।।
एलान हुआ सर्वे हो गए मुआवजे की रकम भी न आई।
नेता से अधिकारी से पटवारी तक सबने पाई पाई खाई।।
जो कुछ बच गया उसमे ही हमने मेहनत सारी लगाई।
बेचने गए फ़सल APMC मंडी के बाहर कतार लगाई।।
कुछ बिकी, कुछ बिचौलिया लिया,कुछ में रंगदारी लग गई।
2 एकड़ की फसल की लागत भर भी घर न आई।।
ऐसे में भारत के जिले जिले में बस एक खबर आई।
मंटू,ददन,रामजी,कितनो ने कर्जे में फांसी है लगाई।।
सरकारे कहती है लोन देगे खेती का सामान देगे।
अच्छी कीमत फसलो की दे कमाई दुगनी कर देंगे।
वोट बीतने के बाद प्राइवेट और व्यापारी को ले आये।
3 विधयेक पास कर संसद में तुम फुले नही समाए।।
अधिया में कम पिस रहे जो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से ललचाये।
बिना msp के खरीदे कितना भी,ऐसे काहे हमको फसाये।।
विनती के हाँथ जोड़े सड़को पर आये है ये हक़ है हमारा।
MSP,APMC,कानून दे सरकार ये है किसान का सहारा।।
©अभिषेक क्षितिज
अभिषेक गौतम
क्षितिज
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5 टिप्पणियाँ
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंkisano ki halat ka ekdm marmik chitran kar dia aapne
जवाब देंहटाएंजी मित्र ,समय है साथ खड़े होने का
हटाएंAapki poem bohot acchi hai.. 😊😊
जवाब देंहटाएंDhanywad nitin ji
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