आख़िरी पन्ना

कुछ लोगो के लिए आप उनकी जिंदगी में आखिरी होते है और आपकी कहानी भी आखिरी पन्ने पर खत्म कर दी जाती है, मगर दिल छोटा आपको करने की जरूरत नही क्योंकि आपके जिंदगी का वो सिर्फ एक पन्ना नही बल्कि पूरी किताब है या और खुल कर कहे पूरा का पूरा महाकाव्य।और हां एक बात और आखिरी पन्ने में आप अपना अकेलापन लिखते है आप अपने भीतर को पूरी तरह से निकाल के रख देते हो, उससे वो सब आप कह देते हो जो आप हो उसमे वो सारी आकृतियां होती है जो आपके जीवन चल रही होती है अगर नही तो अपनी कॉपी के,डायरी के या रफ के आखिरी पन्नो में देखिएगा मिल जाएगा ज़बाब। व्यक्ति शुरू से पन्नो में एक दिखावा रखता है जैसे हम कोई शुरुआत करते है तो पहले आखिरी पन्ने को कलम से बताते और संतुष्ट होकर पहले पन्ने में कुछ जाहिर करते है वैसे ही जिंदगी है यहां लोग आपके करीब आते है आपको जिंदगी के आखिरी पायदान में रखे जरूर होते है मगर उनके न चाहते हुए भी आप उनके सबसे करीब होते है जैसे आखिरी पन्ना।

आखिरी पन्ना

पहले तुझमे मैं आखिरी था 
फिर तेरे पास मैं आखिरी था
सिलसिला आगे बढा ही था
डायरी के आखिरी में वो पन्ना था
जिसके इक हिस्से में छोटा नाम था
वो किपलिंग था या कैप्टन था
मग़र वो मेरा नाम था

साथ चंद कदम चल वो मुड़ गया
जो अब तक मेरे साथ था
शायद सफर में उसके 
कोई और भी साथ था
मेरे पन्ने के पहले सारे पन्ने कोरे नही थे
इसका मुझे इल्म न था
उनमें कुछ राज लिखे जा रहे थे
और समझता रहा मैं ही एक पन्ना था

आज यादों के सफर में समझ आया 
उनके पन्नो में से, मैं सिर्फ एक था,
ऐसे हज़ारो पन्ने होंगे जिंदगी में उनके
मग़र मेरे लिए सिर्फ आहट का पन्ना था।

©अभिषेक क्षितिज

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