मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के एक शिक्षक के घर पैदा हुए राजनीति के संत, कविशिरोमणि श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का परिचय एक पूर्व प्रधानमंत्री , भारतीय जनता पार्टी के नेता, भारत रत्न, कवि , संपादक या किसी अन्य भूमिका को जो उन्होंने अपने जीवन में निभाई के रूप में हमारी स्मृति में विद्यमान है। परन्तु मेरे जीवन मे अटल जी पहले ऐसे व्यक्तित्व के रूप में स्थान पाते जिनमे मैं अपनी रुचि के हर उस आयाम को छू पाया जो मेरे अंतर्मन में कही न कही किसी रूप में स्थापित है।
सबसे पहले अटल जी के बारे अपने दादा जी से जाना था मेरी इक्यावन कविताएं पढ़ते हुए, उसके बाद उनकी कविताओं से लगाव बढ़ता गया और जैसे जैसे अटल जी के जीवन के बारे में जानता गया पढ़ता गया उनके विचारों का प्रभाव मेरे मन मस्तिष्क में घर करता गया। चाहे उनके राजनैतिक भाषण हो या कविता पाठ संसद में उनके द्वारा की गई बहसें या प्रधानमंत्री के रूप में रखी गयी सभी बातें सब सुनकर बस एक ही चीज़ देखने को पाई परिस्थिति जो भी हालत जो भी वाणी में सौम्यता का भाव सदा ही परिलक्षित होता रहा ।
आज के समय मे अटल का जीवन हमे बहुत सीख देता है , संघर्ष,एकता,कृतज्ञता, मृदुस्वभाव,निर्णय लेने की क्षमता, स्वयं के विचारों का पोषण करने और उसे अभिव्यक्त करने की क्षमता आदि आदि कितना कुछ सीख सकते है
अटल जी की एक कविता है "कदम मिलाकर चलना होगा " एकता का स्पष्ट सन्देश है जो भारत को आगे ले जाने का विचार कहे या स्वयं हेतु संदेश समय के साथ कदम मिलाकर चलते हुए अपने मंजिल तक पहुचने एक मात्र उपाय है प्राप्त करते है। किसी भी परिस्थिति में कितनी भी बाधाएं आये हमे उन्हें पार कर आगे बढ़ना है।
अटल जी की राजनीतिक यात्रा उनके संसद सदस्य बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के सफर को देखे तो एक ही चीज़ सीखने को मिलती है संघर्ष जो कि सतत चलने बाली प्रक्रिया है और उसी का परिणाम है कि हमारी पहुच लक्ष्य तक हो आती है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके द्वारा लिए गए निर्णय(परमाणु परीक्षण कारगिल युद्ध,) और अपने घटक दलों के साथ समन्वय करके सभी के साथ चले । जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता और उनके अनुशासन में रह कर समन्वय के साथ कार्य करने की क्षमता सीखी जा सकती है।
"रग रग हिन्दू मेरा परिचय"यह कविता किसी को उनको स्वयं को धर्म मे जोड़ के दिखाने का प्रयास करती है इस लग सकता है । परन्तु इसका विस्तृत अर्थ समझने जाये तो पायेंगे कि उन्होंने ने खुद के अस्तित्व पर गर्व करने की ओर इशारा किया है।अपनी संस्कृति का सम्मान करते हुए उसे बनाये रखने का एक संकल्प मिलता है।
दुसरो के प्रति कृतज्ञता और सम्मान करना अटल जी के जीवन से सीखना सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। उनके भाषणों में वो अकसर किसी न किसी महानुभाव का जिक्र करके उनके द्वारा दिखाए विस्वास या मिली सीख के प्रति कृतज्ञ हो जाते थे। नेहरू जी के प्रति सम्मान में जो बात उनके तसवीर को लेके एक वक्तव्य अकसर सुनने मिलता है उसी से समझ सकते है कि दुसरो को सम्मान करना उनके व्यक्तित्व का कितना महत्वपूर्ण गुण था था।
अटल जो राजनीति के साथ साथ अपनी काव्य यात्रा में सदैव चलते रहे अपने विचारो और मन के भावों को सदैव ही शब्दाकृति देते रहे।और उसे जनमानस तक पहुचाते रहे है। काव्य के प्रति अटूट प्रेम इस बात से ही पता लगता है कि उनके घर मे हमेशा किसी न किसी अवसर पर कवि गोष्ठी और संवाद होता रहा है, अतः हम अपने कर्तव्य पथ में यात्रा के साथ साथ स्वयं के विचारों की भी यात्रा को जारी रखे।
देश के प्रति समर्पण ,अपनो से लगाव ,संघर्ष, सफलता, असफलता की स्वीकार्यता, निरन्तरता, सामंजस्य, समन्वय, विपरीत विचारों की स्वीकार्यता आदि आदि गुणों की एक श्रृंखला ही उनमे समाहित है। आज वो भले हमारे बीच नही है परन्तु उनके विचार, आदर्श, आज भी हम सब के मन मस्तिष्क में अमिट छाप छोड़े है।
भारत रत्न कवि शिरोमणि पंडित अटलबिहारी बाजपेयी आप सदैव हमारे आदर्श,मार्गदर्शक, और पूजनीय रहेगे।
©अभिषेक गौतम
क्षितिज
फ़ोटो साभार-google photo &loksabha tv
6 टिप्पणियाँ
महापुरुष के बारे में बहुत सुंदर वर्णन 💯
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंkeep up the good work
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंबढ़िया लेख गौतम जी 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
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