असफलता निराश होने के लिए नही बल्कि सीखने का एक अवसर देती है।

        किसी भी परीक्षा में यदि आप अपने परिणाम से असंतुष्ट है अथवा अपने लक्ष्य को प्राप्त नही कर सके निराश नही होइए ये असफलता आपको एक और मौका दे रही सीखने का। ये वक्त आपको संयम और धैर्य के साथ निरंतरता बनाते हुए अपने लक्ष्य के ओर दोबारा अग्रसर होने का ।इस परिणाम के सकरात्मक पक्ष को देखने की आवश्यकता है कि आप अपने लक्ष्य के मार्ग में आने वाली  सहूलियतो और चुनौतियों से वाकिफ़ है। बस सभी का हल खोजते हुए सफलता के रास्ते पर बढ़ना है।

         हम सब महाभारत के अर्जुन को जानते है उन्हें हमारे इतिहास की कथाओं  में सबसे बड़े धनुर्धर के रूप में जाना जाता है । जिस गांडीव से महाभारत का युद्ध जीता था उसे प्राप्त करने से पहले गुरु के आश्रम में अर्जुन ने धनुर्विद्या का अभ्यास करके उस पवित्र धनुष को चलाने लायक बने। मछली की आंख भेद देने बाले अर्जुन ने भी लक्ष्य को भेदने से पहले असंख्य तीरों के साथ निरन्तर अभ्यास किया था तब वो इस प्रकार सक्षम हुए। 

आप अपनी असफलता से निराश न हो बल्कि इसे एक अवसर समझ कर दोगुने जोश के साथ लक्ष्य की ओर चलना प्रारंभ कर दे। ये पंक्तियां आपके धैर्य और सफलता की ओर ले जाने का एक भाव मात्र है...!

लक्ष्य भेदने को  तरकस में अभी  तीर बहुत रखे है

चूका पहला वार है,फिरभी खुद को रण में खड़े रखे है।

चक्षु भेदने से पहले अर्जुन ने भी ढेरो तीर चलाये थे

रखा नही धनुष,तब जाकर गांडीव वरदान में लाये थे

✍️ ©अभिषेक क्षितिज

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