हम सब महाभारत के अर्जुन को जानते है उन्हें हमारे इतिहास की कथाओं में सबसे बड़े धनुर्धर के रूप में जाना जाता है । जिस गांडीव से महाभारत का युद्ध जीता था उसे प्राप्त करने से पहले गुरु के आश्रम में अर्जुन ने धनुर्विद्या का अभ्यास करके उस पवित्र धनुष को चलाने लायक बने। मछली की आंख भेद देने बाले अर्जुन ने भी लक्ष्य को भेदने से पहले असंख्य तीरों के साथ निरन्तर अभ्यास किया था तब वो इस प्रकार सक्षम हुए।
आप अपनी असफलता से निराश न हो बल्कि इसे एक अवसर समझ कर दोगुने जोश के साथ लक्ष्य की ओर चलना प्रारंभ कर दे। ये पंक्तियां आपके धैर्य और सफलता की ओर ले जाने का एक भाव मात्र है...!
लक्ष्य भेदने को तरकस में अभी तीर बहुत रखे है
चूका पहला वार है,फिरभी खुद को रण में खड़े रखे है।
चक्षु भेदने से पहले अर्जुन ने भी ढेरो तीर चलाये थे
रखा नही धनुष,तब जाकर गांडीव वरदान में लाये थे
✍️ ©अभिषेक क्षितिज
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