एक तरफा इश्क़ क्यू ये सवाल किया था ज़बाब में मौन था मैं मग़र मेरे भीतर उसका ज़बाब पल रहा था। ज़बाब था कि एक तरफा इश्क़ खुदा की इबादत की तरह है। जैसे खुदा से कुछ मांगते नही बस इबादत करने के लगें रहते है वैसे ही मैंने कभी तुम्हारा प्यार नही माँगा बस अपनी तरह से प्यार दिया ही था। मेरे लिए कुरान की आयतों की तरह पवित्र तेरे लिखे हर एक मैसेज थे, तेरी कही हर बात में गीत…
और पढ़ेंकुछ लोगो के लिए आप उनकी जिंदगी में आखिरी होते है और आपकी कहानी भी आखिरी पन्ने पर खत्म कर दी जाती है, मगर दिल छोटा आपको करने की जरूरत नही क्योंकि आपके जिंदगी का वो सिर्फ एक पन्ना नही बल्कि पूरी किताब है या और खुल कर कहे पूरा का पूरा महाकाव्य।और हां एक बात और आखिरी पन्ने में आप अपना अकेलापन लिखते है आप अपने भीतर को पूरी तरह से निकाल के रख देते हो, उससे वो सब …
और पढ़ेंएक वक्त था जब कुछ पुराने दोस्त होते थे,माँ होती थी, कुछ रिश्तेदार होते थे, कुछ नए यार भी होते थे जिनसे शाम होते ही लम्बी बाते होती थी।दिनभर का एक-एक घण्टा किस्सों की तरह हर किसी से सुनाया जाता था ऐसे लगता जैसे हम अलग अलग शहरों में जाकर किस्सागोई कर रहे हो। मग़र पिछले कुछ सालों विशेषकर कुछ महीनों में सब बदल गया।अब शाम होते ही एक अकेलापन आ जाता है मन रुआंसा हो…
और पढ़ेंहाल ही में पांच राज्यो उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, पंजाब के विधानसभा के चुनाव हुए।मतदान के कई चरणों मे होने से लगभग एक माह का वक्त लगा। इन चुनावों के क्या परिणाम होंगे वो 10 मार्च को पता लगेगा। परन्तु न्यूज़ चैंनलो और सर्वे एजेंसी मतदान खत्म होने के महज 2 सेकेण्ड के भीतर ही अपना एग्जिट पोल लेकर आ चुके है।अब इन आकड़ो में कितनी सत्यता है वो 10 मार्च…
और पढ़ेंसुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायधीशो की संख्या एक चर्चा का विषय रहा है। आखिर आज 70 साल आजादी के होने वाले है कैसे हम अब तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में किसी महिला न्यायधीश को पद पर बैठे नही देख सके। यह बहुत गंभीर प्रश्न खड़ा करता है बराबरी के अधिकार पर , लिंग भेद पर। हम देश की आजादी के 75 साल बिता चुके है यदि पीछे इतिहास के पन्ने पलटे तो पाएंगे कि सुप्रीम कोर्ट…
और पढ़ेंकितने अकेले होते है वो लोग जो प्रेम में होते हुए भी सिर्फ़ इंतज़ार करते है। उनका इंतजार एक बार मुलाकात का होता है एक बार बात कर लेने भर का होता है एक बार देख लेने भर का होता है। मग़र उनकी बेबशी भी देखने लायक होती है वो जिसे चाहता है उसे बार बार कोशिशे करने के बाद एक उम्मीद बांधे रखता है कभी दिन की शुरुआत उसकी ओर से होगी। असल में वो कभी तुम्हारे साथ शुरुआत …
और पढ़ेंकुछ व्यक्ति आपके नज़दीक होने का दावा पेश करेंगे। मग़र आपके किसी एक कदम के आलोचक होंगे फिर एक समय के बाद वो आपके बारे में मिथकों से भर जायेगे परन्तु हर एक मिथक टूटने का एक वाज़िब समय तय होता है। कभी कभी किताबो के ज़िल्द पर लिखे शीर्षक से ज्यादा महत्व पूर्ण उसकी व्याख्या होती है जैसे अपना और अपनत्व दोनों क्षणभंगुर है व्यक्तिवादी तंत्र में दोनों की सार्थकता पर …
और पढ़ेंप्रेम में स्वीकार्यता कितनी आवश्यक है इसके बारे उस व्यक्ति से पूछिये जो प्रेम की परिभाषा गढ़ने के समय एक विकल्प की तरह रहा हो। क्योंकि विकल्प से चुनाव तक कि यात्रा में विकल्प बहुत से चुनाव की दहलीज़ पर ठोकर खाकर गिर चुका होता है। उसे हर बार सिर्फ अपनेपन की एक झलक औऱ फिर एक दायित्व का बोध प्राप्त होता है । हालांकि हर बार स्वीकार्यता की परिभाषा…
और पढ़ेंसावित्री बाई फुले को हम सब एक शिक्षाविद और समाज सुधारक वे रूप में जानते है। सावित्रीबाई फुले केवल एक समाज सुधारक ही नही बल्कि कहे तो अपने आप में एक संस्था थी उन्होंने जिस प्रकार से समाज के परंपरागत विचार से टकराकर महिलाओं के अधिकारो और उनकी शिक्षा के लिए कार्य किया उल्लेखनीय है। सावित्री बाई फुले (SAVITRI BAI FULE) जी का जन्म महाराष्ट्र में सत…
और पढ़ेंसाल 2020 बड़ी उम्मीदों का साल रहा था मेरे लिए लेकिन मार्च के महीने के बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई उसने सारे विश्व को झकझोर दिया। हमने जिस दुनिया को गति देने में इतने साल लगा दिए उसे अचानक पूरी तरह से रोक देना पड़ा। जिन सड़को पर वाहनों की आवाजाही नही रुकती थी वहां अब सन्नाटा था। covid19 वायरस ने हम सब की जिंदगी में डर भर दिया तब हमारे फ्रंट लाइन वॉरियर ने ह…
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