नेपोटिज्म पर बात करने वालो जरा पीढ़ी दर पीढ़ी गटर नाली की सफाई का काम करने वाले (जातिगत आधार पर पीढ़ी दर पीढ़ी किया जाने वाला कृत्य) की ओर भी नजर उठाकर देखो।
एक तरफ तो भाई भतीजावाद का विरोध करते है वही दूसरी तरफ अपने गंदगी साफ करने वाले के साथ इसे स्वीकार करते है तथा उनके साथ दुर्व्यवहार , घृणा का भाव भी देखा जाता है। नेपोटिज्म तो अयोग्यता और योग्यता के बीच की लड़ाई है परन्तु दशकों से समाज के वंचित वर्ग(एक विशेष जाति ) के व्यक्ति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी यही एक कार्य (मैला उठाने का)करने पर विवश है । हमारा समाज कुंठित मानसिकता का हो गया है वह कुलीन वर्ग में व्याप्त सारी कमियों के मूल्यांकन करने को तैयार है परन्तु समाज मे वंचित वर्गों के प्रति सम भाव समान अवसर और प्रगति की बात करना तो जैसे इन्हें बेमानी लगता है।
समाज मे एक ही प्रकार की कमियां कई स्तरों पर फैली है परन्तु हम अपनी सुविधा के मुताबिक विरोध के और स्वीकार्यता के विषय चुनते है । ऐसा करते हुए हम उन वर्गों से और भी दूरी बनाते जा रहे जिनके हित में आवाज बुलंद करना आवश्यक है ।
आज भी साफ सफाई करने बाले मजदूर के साथ दुर्व्यवहार होता है उन्हें सामाजिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है । कार्य क्षेत्र में उनका भरपूर शोषण किया जाता है । समाजिक सुरक्षा के नाम पर सरकारो के कार्य तो बस जैसे कागजो पर ही सिमटे है। वर्कर्स के पास न तो ग्लब्स , जूते,वर्दी, न सुरक्षा उपकरण है बिना सुरक्षा उपकरणों के गहरे गङ्ढे में उतरते है और कितने ही बेचारे अपनी जान गंवा देते है।
कोई भी कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी किसी को क्यों करना पड़े या करना चाहिए ? यह आज भी बड़ा सवाल है। समाज उन्हें अपने बराबर का हक़ दे पाएगा?
भारत मे अस्पृश्यता का दंश पीढ़ियों से सहते आ रहे ये वंचित व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा के हकदार है। इन विशेष जाति वर्ग के प्रति व्याप्त पूर्वाग्रहों को समाप्त करना होगा इस स्तर के नेपोटिज्म को भी खत्म करने की आवश्यकता है।समाज के सभी वर्गों में बराबरी का भाव हो इसका प्रथम प्रयास हमे अपने स्तर से प्रारंभ करना होगा। हमे समाज की सोच को परिवर्तित करके योग्यता को स्थान देते हुए किसी को पीढ़ी दर पीढ़ी उसी कार्य क्षेत्र में धकेलने से बचाना होगा।
©अभिषेक गौतम
क्षितिज
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