साल 2020 बस कुछ घण्टो का मेहमान है, इस कठिन दौर में हमने अपनो के साथ जीने का नया तरीका सीख लिया, बहुत कुछ खोया पर,कुछ अपने(डॉ, पुलिस, सफ़ाई कर्मी) मिले जो दिल मे अपनी जगह बना कर वही बस गये।

साल 2020 बड़ी उम्मीदों का साल रहा था मेरे लिए लेकिन मार्च के महीने के बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई उसने सारे विश्व को झकझोर दिया। हमने जिस दुनिया को गति देने में इतने साल लगा दिए उसे अचानक पूरी तरह से रोक देना पड़ा।  जिन सड़को पर वाहनों की आवाजाही नही रुकती थी वहां अब सन्नाटा था। covid19 वायरस ने हम सब की जिंदगी में डर भर दिया 
तब हमारे फ्रंट लाइन वॉरियर ने हमे जिंदगी देने ले लिए अपनी जिंदगी दांव में लगा दी और खुद को महामारी के आगे झोंक कर हमें बचाने निकल पड़े , अपने कर्तव्य पथ पर। कुछ लोगो को अपनाा जीवन बचाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा,प्रवासी मजदूरों को पैदल चलकर अपने घर आना पड़ा, रास्ते मे कई दुर्घटनाये हुई। पर इन सबके बीच कुछ सोनू सूद ,चिरंजीवी, प्रकाश राज जैसे अभिनेता घर से बाहर आकर लोगो की मदद की और भी व्यक्ति अन्य माध्यमो से मदद में लगें रहे और हम सब एक साथ खड़े रहे और आज बेहतर स्थिति में है।
  
    इस दौर में हमने समाज के नजरिये को बदलते देखा लोगो ने खुद को जानना सीखा, खुद के साथ भी रहना सीखा, और सबसे ज्यादा अपनापन अगर किसी से महसूस किया वो है हमारे सफाईकर्मी , पूरे देश ने उन्हें वो सम्मान दिया जिसके वो वर्षो हक़दार थे, जो हमे स्वच्छ जिंदगी देने के लिए दशकों से अपना जीवन दांव में लगाते आ रहे पर उनकी अहमियत आज हमारे समाज ने स्वीकार की।

ये साल बहुत कुछ सीखने का साल रहा है, खुद को आगे बढ़ाने का और जीवन जीने के नए तौर तरीको को गढ़ने का। कुछ पंक्तियां प्रस्तुत है जो इस साल को समर्पित है और आने वाले साल की उम्मीद है😊😊😊

ये साल 2020 बस  कुछ मिनटों में जा रहा
कुछ गम,कुछ खुशिया,कुछ यादे,कुछ वादे,दे जा रहा
पूरे करने होंगे आगे उनको जो कुछ अधूरा रहा
क्या मिला, क्या खोया, मेरा कैसा ये साल रहा

कुछ नए दोस्त(परिवार) मिले जिनका अलग अंदाज रहा
संघर्ष भरी राहों में भी  मैं  अकेला चलता रहा 
साथ मिला मुझे स्वयं का मेरा हौसला बढ़ता रहा
आभार है उनको जिनका मुझे साथ मिलता रहा

दुनिया ने भी जीने का एक नया अंदाज सीखा
आज़ाद विचरण की बजाय अपनो के संग रहना सीखा
प्रगति गयी थी रुक फिर कुछ ने सड़को पर चलना सीखा
बच्चो ने भी त्याग, तपस्या ,भूख सहन का गुण सीखा 

जब डरकर हम,जीवन,रक्षा हेतु घरों में कैद हुए थे 
तब कुछ अपने सड़को,अस्पतालों में डंटे हुए थे
धन्य हो जिनका उद्देश्य मात्र था सबको जीवित रखना
भले उन्हें  स्वयं के जीवन को पड़ा था दाँव में रखना  

धन्य है,ईश्वर, ने रूप धरे डॉ.की पोशाक और वर्दी में
2020 के कठिन दौर में सफाईकर्मी बन गए अपने 
नए साल में जाने से पहले इनको आभार करे मन में
अपनो ख़ातिर जीना सीखा है,देखा सारी दुनिया में है अपने
©अभिषेक क्षितिज

               "बिना पूछे कविता कॉपी न करे" 

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