जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए कठोर अनुशासन होना आवश्यक है। क्या प्रेम सफलता में बाधक है?,

आज की युवा पीढ़ी में हर कोई एक प्रतिभागी की भूमिका अदा कर रहा है और प्रतियोगिता के परिणाम हेतु अपने बौद्धिक शारीरिक मानसिक पहलुओं के आधार पर अपने एहसासों को,भावो को जीने की स्वयं को स्वीकृति देते है।  हम युवा पीढ़ी के जीवन मे एक न एक बार प्रेम को ले के प्रश्न खड़ा जरूर होता है ?
क्या मुझे प्रेम करना चाहिए?
क्या प्रेम के लिए उचित समय है?
क्या मुझे अपने प्रेम का इजहार करना चाहिए?
क्या प्रेम की वजह से सफलता नही प्राप्त होती?
 प्रेम अनुशासन खत्म कर देता है?  नाना प्रकार के प्रश्न हमें असहज करते है। इसके निदान की चेष्टा भी नही की का सकती ।

ओशो ने कहा है "जीवन मे तुम जिसे सफ़ल देखते हो ये वही लोग है जो प्रेम के बिना जी रहेे हैै, प्रेम औऱ सफलता का जोड़ नही बनता क्योंकि सफलता के लिए जितना कठोर बनना पड़ता है प्रेम उतना कठोर होने की सुविधा नही देता है।"

ओशो की इस कथन को कहां तक सही माना जा सकता है। ये तो प्रेम करने और न करने वाले पर है कि वो किस सत्य को स्वीकार करता है। प्रेम भी सत्य है और सफलता भी।  मेरा अपना मानना है कि प्रेम आपके कठिन मार्ग ,कठिन समय में सहायक हो सकता है उसे मार्ग से पार जाने और वो समय काटने में।

   हालांकि की ओशो की बात को नकारने की क्षमता तो कम से कम मुझमें नही है क्योंकि वो भी एक प्रायोगिक सत्य हो सकता है। मुझे लगता है प्रेम करने के दौरान भी हमे अपनी प्राथमिकताओ की ओर झुकाव रखना चाहिए।  बहुत से व्यक्ति है जो आज सफल है और वो प्रेम में रहे थे , अथवा रहे होंगे।  ओशो के कथन का सिर्फ समर्थन इस आधार पर करता हूं कि प्रेम अनुशासन की कठोरता को बर्दास्त कर सकता है परंतु प्रेमी नही, प्रेमी के व्यवहारिक पक्ष से पता लगेगा कि वो सहायक की भूमिका में रहता है या फिर बाधक ।।

       ओशो प्रेम के खिलाफ है ये बात उठे उससे पहले बता दे कि वो प्रेम को महत्वपूर्ण मानते है वो कहते है कि"प्रेम एक एकालाप नही बल्कि एक महत्वपूर्ण बहुत सामंजस्य पूर्ण संवाद है।" ओशो के विचार हमारे जीवन को अनुशासन में ढालने में मदद कर करते है । पर यदि आप प्रेम को बाधक कहे उससे जरूर मैं कम से कम सहमत नही। 

ओशो के एक विचार से मेरा जरूर बड़ा जुड़ाव है कि" कोई विचार नही कोई बात नही , कोई विकल्प नही-शांत रहो अपने आप से  जुडो" ये अवश्य हमे सफलता का मंत्र लगता है ।

अभिषेक गौतम
  क्षितिज

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