सुप्रीम कोर्ट में महिला न्यायधीशो की संख्या एक चर्चा का विषय रहा है। आखिर आज 70 साल आजादी के होने वाले है कैसे हम अब तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में किसी महिला न्यायधीश को पद पर बैठे नही देख सके। यह बहुत गंभीर प्रश्न खड़ा करता है बराबरी के अधिकार पर , लिंग भेद पर। हम देश की आजादी के 75 साल बिता चुके है यदि पीछे इतिहास के पन्ने पलटे तो पाएंगे कि सुप्रीम कोर्ट…
और पढ़ेंकितने अकेले होते है वो लोग जो प्रेम में होते हुए भी सिर्फ़ इंतज़ार करते है। उनका इंतजार एक बार मुलाकात का होता है एक बार बात कर लेने भर का होता है एक बार देख लेने भर का होता है। मग़र उनकी बेबशी भी देखने लायक होती है वो जिसे चाहता है उसे बार बार कोशिशे करने के बाद एक उम्मीद बांधे रखता है कभी दिन की शुरुआत उसकी ओर से होगी। असल में वो कभी तुम्हारे साथ शुरुआत …
और पढ़ेंकुछ व्यक्ति आपके नज़दीक होने का दावा पेश करेंगे। मग़र आपके किसी एक कदम के आलोचक होंगे फिर एक समय के बाद वो आपके बारे में मिथकों से भर जायेगे परन्तु हर एक मिथक टूटने का एक वाज़िब समय तय होता है। कभी कभी किताबो के ज़िल्द पर लिखे शीर्षक से ज्यादा महत्व पूर्ण उसकी व्याख्या होती है जैसे अपना और अपनत्व दोनों क्षणभंगुर है व्यक्तिवादी तंत्र में दोनों की सार्थकता पर …
और पढ़ेंप्रेम में स्वीकार्यता कितनी आवश्यक है इसके बारे उस व्यक्ति से पूछिये जो प्रेम की परिभाषा गढ़ने के समय एक विकल्प की तरह रहा हो। क्योंकि विकल्प से चुनाव तक कि यात्रा में विकल्प बहुत से चुनाव की दहलीज़ पर ठोकर खाकर गिर चुका होता है। उसे हर बार सिर्फ अपनेपन की एक झलक औऱ फिर एक दायित्व का बोध प्राप्त होता है । हालांकि हर बार स्वीकार्यता की परिभाषा…
और पढ़ेंसावित्री बाई फुले को हम सब एक शिक्षाविद और समाज सुधारक वे रूप में जानते है। सावित्रीबाई फुले केवल एक समाज सुधारक ही नही बल्कि कहे तो अपने आप में एक संस्था थी उन्होंने जिस प्रकार से समाज के परंपरागत विचार से टकराकर महिलाओं के अधिकारो और उनकी शिक्षा के लिए कार्य किया उल्लेखनीय है। सावित्री बाई फुले (SAVITRI BAI FULE) जी का जन्म महाराष्ट्र में सत…
और पढ़ेंसाल 2020 बड़ी उम्मीदों का साल रहा था मेरे लिए लेकिन मार्च के महीने के बाद जो स्थितियां उत्पन्न हुई उसने सारे विश्व को झकझोर दिया। हमने जिस दुनिया को गति देने में इतने साल लगा दिए उसे अचानक पूरी तरह से रोक देना पड़ा। जिन सड़को पर वाहनों की आवाजाही नही रुकती थी वहां अब सन्नाटा था। covid19 वायरस ने हम सब की जिंदगी में डर भर दिया तब हमारे फ्रंट लाइन वॉरियर ने ह…
और पढ़ेंआज की युवा पीढ़ी में हर कोई एक प्रतिभागी की भूमिका अदा कर रहा है और प्रतियोगिता के परिणाम हेतु अपने बौद्धिक शारीरिक मानसिक पहलुओं के आधार पर अपने एहसासों को,भावो को जीने की स्वयं को स्वीकृति देते है। हम युवा पीढ़ी के जीवन मे एक न एक बार प्रेम को ले के प्रश्न खड़ा जरूर होता है ? क्या मुझे प्रेम करना चाहिए? क्या प्रेम के लिए उचित समय है? क्या मुझे अपने प्रेम का…
और पढ़ेंआत्महत्या केवल व्यक्तिगत कमजोरी नही बल्कि सामाजिक अस्वीकार्यता का परिणाम है। Suicide (sui-अपना cide-हत्या) का कारण अपनी व्यक्तिगत कमजोरी या केवल मनोविज्ञान से जुड़ा मसला नही है बल्कि समाज एवम इसकी विभिन्न इकाइयों (परिवार, दोस्त, पड़ोसी,रिश्तेदार, संगठन, कार्यालय, कार्यक्षेत्र, आदि) में होने वाले मानसिक तनाव या विचारों की अस्वीकार्यता, टीस,भावनाओ का मजाक, एवम…
और पढ़ेंमध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के एक शिक्षक के घर पैदा हुए राजनीति के संत, कविशिरोमणि श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का परिचय एक पूर्व प्रधानमंत्री , भारतीय जनता पार्टी के नेता, भारत रत्न, कवि , संपादक या किसी अन्य भूमिका को जो उन्होंने अपने जीवन में निभाई के रूप में हमारी स्मृति में विद्यमान है। परन्तु मेरे जीवन मे अटल जी पहले ऐसे व्यक्तित्व के रूप में स्थान पा…
और पढ़ेंकिसी भी परीक्षा में यदि आप अपने परिणाम से असंतुष्ट है अथवा अपने लक्ष्य को प्राप्त नही कर सके निराश नही होइए ये असफलता आपको एक और मौका दे रही सीखने का । ये वक्त आपको संयम और धैर्य के साथ निरंतरता बनाते हुए अपने लक्ष्य के ओर दोबारा अग्रसर होने का । इस परिणाम के सकरात्मक पक्ष को देखने की आवश्यकता है कि आप अपने लक्ष्य के मार्ग में आने वाली सहूलियतो और…
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